रामचरित मानस

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चौपाई : * गुन कृत सन्यपात नहिं केही। कोउ न मान मद तजेउ निबेही॥ जोबन ज्वर केहि नहिं बलकावा। ममता केहि कर जस न नसावा॥1॥ भावार्थ:-(रज, तम आदि) गुणों का किया ...

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